दुर्गा माता मंदिर दुर्गा नगर विदिशा
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विरासत का नगर, हमारा विदिशा।
विदिशा (Vidisha) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। विदिशा मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर-पूर्व हिस्से में अवस्थित है तथा पश्चिम में मुख्य पठार से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र मध्यभारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा सकता है।
नगर से दो मील उत्तर में जहाँ इस समय बेसनगर (Besnagar) नामक एक छोटा-सा गाँव है, प्राचीन विदिशा बसी हुई है। यह नगर पहले दो नदियों के संगम पर बसा हुआ था, जो कालान्तर में दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है। इन प्राचीन नदियों में एक छोटी-सी नदी का नाम ‘वैस’ है। इसे विदिशा नदी के रूप में भी जाना जाता है।
विदिशा में जन्में श्री कैलाश सत्यार्थी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला।
इसकी भौगोलिक स्थिति बड़ी ही महत्त्वपूर्ण थी। पाटलिपुत्र से कौशाम्बी होते हुये जो व्यापारिक मार्ग उज्जयिनी (आधुनिक उज्जैन) की ओर जाता था वह विदिशा से होकर गुजरता था। यह वेत्रवती नदी के तट पर बसा था, जिसकी पहचान आधुनिक बेतवा नदी के साथ की जाती है। बेतवा की सहायक नदी धसान नदी के नाम में अवशिष्ट है। कुछ विद्वान इसका नामाकरण दशार्ण नदी (धसान) के कारण मानते हैं, जो दस छोटी-बड़ी नदियों के समवाय-रूप में बहती थी।
इस क्षेत्र की जलवायु अत्यन्त स्वास्थ्यवर्द्धक है। कर्क रेखा के आसपास स्थित इस क्षेत्र में न अधिक ठंड पड़ती है, न ही अधिक गर्मी। बारिश साधारणतया ४० इंच होती है। एक किवदंती के अनुसार यहाँ की अजस्र जल देने वाली बदली लंगड़ी है। अतः उन पर दया करके बड़े-बड़े बादल यहाँ जल बरसा जाते हैं। यहाँ कभी सूखा नहीं पड़ता। विदिशा के समीप से ही विंध्य पर्वतों की श्रेणियों का सिलसिला पूर्व से पश्चिम की ओर गया है। ये श्रेणियाँ न तो अधिक ऊँची है, न ही लंबी और वेस नदी के किनारे गरुण स्तम्भ स्थित हैं जिससे भागवत कथा प्रारम्भ होने के साक्ष मिलते हैं। इस स्तंभ का निर्माण हिलयोडोरस ने करवाया जिस कारण इसे हिलयोडोरस स्तंभ भी कहते है ।[3]
source: hi.wikipedia.org
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