सम्राट अशोक प्रौद्योगिकी संस्थान, विदिशा मध्य प्रदेश का एक प्रतिष्ठित स्वायत्त प्रौद्योगिकी महाविद्यालय है। इसकी स्थापना 1960 में महाराजा जीवाजीराव शिक्षा सोसायटी द्वारा की गई थी। इस संस्थान का नामकरण महान सम्राट अशोक के नाम पर हुआ है, जिनकी पत्नी देवी विदिशा के एक व्यापारी की पुत्री थीं।
इसको शार्ट में SATI कॉलेज भी कहते हैं। इस कॉलेज की बजह से विदिशा की पहचान विदेशों तक है। इस कॉलेज के पड़े हुए छात्र बड़ी बड़ी कंपनियों में जॉब कर रहे हैं।
एक समय था जब स्टूडेंट इस कॉलेज में पड़ने का सपना देखा करते थे। क्योंकि इसमें एडमिशन आसानी से नहीं मिलता था। उसके लिए आपको PET एंट्रेंस एग्जाम में अच्छे नंबर लाने होते थे। सिविल इंजीनियरिंग में यह टॉप कॉलेजेस में आता था।
मुझे याद है जब में अपनी बीएससी डिग्री विदिशा के ही S. S. जैन कॉलेज से कर रहा था तब हमको एग्जाम सेंटर SATI कॉलेज ही मिलता था। या कोई कॉम्पीशन एग्जाम होता था तब भी इसी कॉलेज में जाने का मौका मिलता था। तब में मन में सोचा करते थे की काश हमको भी इस कॉलेज में पड़ने का मौका मिलता तो कितना अच्छा होता।
जब में बीएससी की लास्ट ईयर में था तब एक मित्र से पता चला की बीएससी के बाद MCA एंट्रेंस एग्जाम दे सकते हैं। और हमको SATI कॉलेज में एडमिनशन मिल जायगा। और हमने फिर वही किया। और इस तरह हमने सन 2008 में MCA में SATI कॉलेज में एडमिशन ले लिया। मेरे साथ मेरे एक मित्र जीतेन्द्र रघुवंशी ने भी एडमिशन ले लिया था। और में अपना भी परिचय दे देता हूँ –
मेरा नाम संजीव कुमार रघुवंशी है। मैंने भी MCA की डिग्री 2011 में कम्पलीट की थी और मैं आज एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हूँ, और विदिशा से ही वर्क फ्रॉम होम करता हूँ। किसी पर्टिकुलर एक कंपनी के लिए न करके अलग अलग क्लाइंट्स के लिए कार्य करता हूँ। और ये सभी क्लाइंट्स ज्यादातर विदेशी ही होते हैं। और मेरा सारा काम ऑनलाइन ही होता है। ऑनलाइन डेवलपमेंट काम के लिए कुछ वेबसाइटस हैं जैसे Upwork.com, Freelancer.com एंड Fiverr.com जंहा पर मैंने अपनी पोर्टफोलियो बनाकर रखा है। और हर एक काम के बाद मुझे जो रेटिंग मिलती है उससे मुझे आगे काम मिलता रहता है।
दोनों के बैच अलग अलग थे। उसको सुबह का टाइम मिला था और मुझे दोपहर का। उस समय क्लास दो शिफ्टों में लगा करती थी। उस समय हमारी फैकल्टी में श्री मति पूनम जैन मैडम, श्री सौरभ जैन सर, श्री सचिन कामले सर, श्री सुनील विजबे सर , श्री कपिल चतुर्बेदी सर, और भी सर थे उनके नाम याद नहीं आ आरहे हैं । यदि 2011 MCA बैच का कोई छात्र इस पोस्ट को पढ़ रहा हो तो आप भी कमेंट में उनका नाम जरूर लिखें।
आज दिनांक 02 अगस्त 2024 है जब में ये पोस्ट लिख रहा हूँ तो लगभग 13 साल हो चुके है। लकिन आज भी मुझे ऐसा लगता है की बस अभी कुछ दिनों की ही बात है। मुझे पता है हम सबकी बहुत सारी खट्टी मीठी यादें जुड़ी हुई हैं।
मुझे फैकल्टी से पता नहीं क्यों बहुत डर लगता था लकिन बहुत से बच्चों को नहीं भी लगता था या वो दिखाते थे की नहीं लगता। क्योंकि फैकल्टी से सेशनल मार्क काटने का डर और हमारे कॉलेज में डिसिप्लिन बहुत ही अच्छा था। और होना भी चाहिए तभी तो पढ़ाई का माहौल बनता है। और एक नाम इससे फैकल्टी को भी दर लगता था आप समझ गए होंगे की में किसकी बात कर रहा हूँ – श्री मति कनक सक्सेना मैडम जो सुबह बाले बैच को पढ़ाती थी। जो की कंप्यूटर डिपार्टमेंट की हेड थीं। उनसे तो पूरे कॉलेज को ही दर लगता था। उस समय सबसे ज्यादा क्लास MCA वालों की ही लगती थी। हमको तो ऐसा ही लगता था की हम स्कूल में ही हैं। कोई मस्ती नहीं और सीरियसली पढ़ाई और सेमेस्टर की तयारी।
MCA डिग्री के स्टूडेंट्स के लिए कैंपस बहुत ही काम आते थे। कुछ छोटी कम्पनीज के लोग तो बस अपना प्रचार करने के लिए ही आये थे। जो इंटरव्यूज लेने के बाद कुछ को सेलेक्ट करने के बाद किसी को जोइनिंग ही नहीं दी। लकिन TCS का कैंपस भी आया जिसमे हमारे MCA के 3 छात्रों का सिलेक्शन हो गया था।
मेरे कुछ दोस्तों की फोटो कॉलेज में –
आज जब भी सामने से गुजरना होता है तो कुछ पहले जैसे फीलिंग नहीं आती हैं हाँ बस ये याद रहता है की यंहा से हमने पढ़ाई की है। क्योंकि रोज का आना जाना है। लकिन जब अंदर जाते हैं तो कुछ कुछ होता है। जैसे हमारा कुछ छूट गया है। आज की कुछ फोटो नीचे अटैच की है आप देख सकते हैं की आज भी कॉलेज कैसा दिखता हैं –
आज के समय में यह कॉलेज काफी एडवांस हो गया है। और काफी कम्पनीज के कैम्पस आने लगे हैं। और बहुत सारे बच्चों के प्लेसमेंट भी हुये हैं।
अगर आपको कोई भी जानकारी जोड़ना हो तो आपका स्वागत है। और कोई लिखने में गलतियां हो तो मुझे छमा करें।