पर्यटक स्थल

विदिशा: इतिहास और धरोहर का संगम (Vidisha: A Confluence of History and Heritage)

मध्य प्रदेश में स्थित विदिशा, प्राचीन भारत के वैभवशाली इतिहास को समेटे हुए एक खूबसूरत शहर है। बेतवा नदी के किनारे बसा यह शहर कभी भोज राजवंश की राजधानी हुआ करता था। यहां घूमने के लिए कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं।

सबसे प्रमुख है भेलसा का स्तूप, जो सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए तीन स्तूपों में से एक है। इस स्तूप की खासियत इसकी कलात्मक शैलियां हैं, जिनमें बौद्ध धर्म की कहानियां उकेरी गई हैं। उज्जैन की तरह ही यहां भी महाकालेश्वर मंदिर स्थित है। माना जाता है कि यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक का वास है।

इतना ही नहीं, विदिशा में कई गुफाएं भी हैं, जिनमें गढ़िया की गुफाएं प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में हिंदू और जैन धर्म से जुड़ी कलाकृतियां देखने को मिलती हैं। शहर में स्थित नेहरू तारामंडल खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

विदिशा न सिर्फ इतिहास प्रेमियों को बल्कि प्रकृति प्रेमियों को भी अपनी ओर खींचता है। यहां स्थित बांसाखेड़ी का जंगल वन्य जीवों से भरपूर है।

संक्षेप में, विदिशा प्राचीन इतिहास, धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। यह शहर आपको अतीत की कहानियों में खोने और प्रकृति की शांति का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है।

पुरातन वैभव (Puratan Vaibhav – Ancient Grandeur):

  • विदिशा का उल्लेख महाभारत और पुराणों में भी मिलता है। माना जाता है कि यह विद्या की नगरी हुआ करती थी (Vidisha ka ullekh Mahabharat aur Purano mein bhi milta hai. Mana jata hai ki yah vidya ki nagari hua करती thi).
  • यहां कई मंदिर हैं, जिनमें विष्णु मंदिर के अवशेष, दशावतार मंदिर और गिरीधारी मंदिर दर्शनीय हैं (Yahaan kai mandir hain, jinमें Vishnu mandir ke avshesh, Dashavtaar mandir aur Girdhari mandir darshaniya hain).

जैन धर्म का केंद्र (Jain Dharm ka Kendra – Jainism Hub):

  • विदिशा जैन धर्म के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक है (Vidisha Jain Dharm ke mahatvpurn kendron mein se ek hai). यहां 9वीं से 10वीं शताब्दी के बीच बने कई जैन मंदिर हैं, जिनमें बड़ा मंदिर, बज्रmath जैन मंदिर और पाषाण जैन मंदिर प्रमुख हैं (Yahan 9vi se 10vi shatabdi ke beech bane kai Jain mandir hain, jinमें Bada Mandir, Bajramath Jain mandir aur Pashika Jain mandir pramukh hain).

विदिशा, मध्य प्रदेश घूमने के शौकीनों के लिए एक ख़ास जगह है। इतिहास और धर्म से जुड़े कई दर्शनीय स्थल यहाँ मौजूद हैं। आइए जानते हैं विदिशा की कुछ प्रमुख पर्यटक स्थलों के बारे में:

1. उदयगिरि और कैलाशगिरि की गुफाएँ:

Vidisha tourist places udyagiri caves
Vidisha tourist places udyagiri caves

ये दोनों पहाड़ियाँ ग्वालियर की तरह ही जुड़वां मानी जाती हैं। इन पहाड़ियों को काटकर लगभग 20 से ज्यादा गुफाएँ बनाई गई हैं। गुप्त साम्राज्य (लगभग 320 ईस्वी से 550 ईस्वी) के शासनकाल के दौरान निर्मित ये गुफाएँ हिंदू और जैन धमत से जुड़ी हुई हैं। इन गुफाओं की दीवारों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है, जो उस समय की कला और शिल्पकला का बेहतरीन उदाहरण हैं।

उदयगिरि की गुफाओं में से कुछ प्रसिद्ध गुफाएँ हैं:

  • हथिया गुफा (गुफा क्रमांक 1): इस गुफा के द्वार पर एक विशाल हाथी की आकृति उकेरी हुई है, इसलिए इसे हथिया गुफा कहा जाता है। इस गुफा के अंदर भगवान विष्णु की विभिन्न मूर्तियाँ और शिव-पार्वती की प्रतिमाएँ देखने को मिलती हैं।

  • विष्णु की वराह अवतार गुफा (गुफा क्रमांक 7): इस गुफा में भगवान विष्णु के वराह अवतार की भव्य मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति लगभग 2.4 मीटर ऊँची है।

  • गणेश गुफा (गुफा क्रमांक 13): इस गुफा में भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है।

कैलाशगिरि की गुफाएँ मुख्यतः जैन धर्म से जुड़ी हुई हैं। यहाँ की गुफाओं में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ मिलती हैं।

   2. साँची का स्तूप (भोपाल के पास):

Sanchi Stoop Vidisha
Sanchi Stoop Vidisha

जैसा कि मैंने बताया था, साँची का प्रसिद्ध स्तूप भले ही भोपाल जिले में स्थित है, लेकिन विदिशा से इसकी दूरी कम है और इसे विदिशा घूमने के दौरान दर्शनीय स्थल के रूप में ज़रूर शामिल किया जाता है। सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया गया यह स्तूप बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र रहा है। स्तूप के चारों ओर बने चार प्रवेश द्वार (टॉरण) इसकी खासियत हैं। इन द्वारों पर की गई शिल्पकारी अद्भुत है। साथ ही, स्तूप के चारों ओर की दीवारों पर भी जातक कथाओं को दर्शाती हुई कई कलाकृतियाँ उकेरी हुई हैं।

3. बेसनगर:

बेस नदी के किनारे बसा बेसनगर एक प्राचीन नगर है। माना जाता है कि ये नगर मौर्य साम्राज्य (लगभग 322 ईसा पूर्व – 185 ईसा पूर्व) के शासनकाल में बसा था। बेसनगर में आप कई महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर देख सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • दशावतार मंदिर: यह मंदिर भगवान विष्णु के 24 अवतारों को समर्पित है। मंदिर की दीवारों पर इन अवतारों को दर्शाया गया है।

  • हेलीडोरस स्तंभ: इसे खांबा बाबा के नाम से भी जाना जाता है। यह स्तंभ दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में यूनानी राजदूत हेलीडोरस द्वारा बनवाया गया था। इस स्तंभ पर वैष्णव धर्म के चक्र प्रतीक और ब्राह्मी लिपि में लिखे शिलालेख देखने को मिलते हैं।

  • बेसनगर का स्तूप: यह स्तूप साँची के स्तूप के छोटे रूप जैसा है। माना जाता है कि इसका निर्माण भी सम्राट अशोक के शासनकाल में हुआ था।

 

4. बीजामंडल या विजयमंदिर मंदिर, विदिशा:

Bijamandal Vidisha, Madhya Pradesh
Bijamandal Vidisha, Madhya Pradesh

बीजामंडल (या बीजा मंडल) 11वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह किसी समय एक विशाल मंदिर रहा होगा, जो आज जितना आप देख सकते हैं उससे कहीं अधिक ऊंचा होगा। साइट पर जो कुछ बचा है वह स्तंभों और अलंकृत नक्काशीदार मूर्तियों से भरी एक बहुत बड़ी संरचना का आधार रहा होगा। इनमें से कई नक्काशीदार कलाकृतियाँ साइट पर प्रदर्शित हैं।

17वीं शताब्दी में, मंदिर को मुगल साम्राज्य द्वारा एक मस्जिद में बदल दिया गया था लेकिन पत्थर के कई मूल टुकड़ों का उपयोग नई संरचना के लिए किया गया था। अन्य टुकड़े, जैसे मुख्य मस्जिद क्षेत्र के स्तंभ, पास के विभिन्न छोटे मंदिरों से एकत्र किए गए थे, जिसका अर्थ है कि डिजाइन में कोई स्थिरता नहीं है।

5. लोहंगी पर्वत:

Lohangi Vidisha
Lohangi Vidisha

विदिशा शहर के बीचों-बीच स्थित लोहंगी पर्वत घूमने के लिए एक शानदार जगह है। पहाड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। ऊपर पहुँचने पर आपको पूरे शहर का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। साथ ही, यहाँ एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है।

6. नीलकंठेश्वर शिव मंदिर : भगवान शिव का पावन धाम

नीलकंठेश्वर शिव मंदिर, गंज बासौदा
नीलकंठेश्वर शिव मंदिर, गंज बासौदा

गंज बासौदा, मध्य प्रदेश में स्थित नीलकंठेश्वर शिव मंदिर, भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर अपनी भव्यता, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।

  • नीलकंठेश्वर शिव मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा करवाया गया था।
  • मंदिर का नाम भगवान शिव के नीलकंठ रूप पर रखा गया है, जो समुद्र मंथन के दौरान विषपान करने के बाद उनका गला नीला होने के कारण जाना जाता है।
  • मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है, यानी कि यह प्राकृतिक रूप से प्रकट हुआ है।
  • यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और साल भर भक्तों को आकर्षित करता है।

अन्य दर्शनीय स्थल:

विदिशा में घूमने के लिए और भी कई महत्वपूर्ण मंदिर और ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • गिरधारी लाल मंदिर: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर 16वीं शताब्दी में बनवाया गया था।

  • उदयेश्वर मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चंदेल राजवंश द्वारा करवाया गया था। मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है।

 

यात्रा की योजना बनाना:

  • कब आएँ? अक्टूबर से मार्च का समय विदिशा घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान मौसम सुहाना रहता है।
  • कहाँ ठहरें? विदिशा में विभिन्न प्रकार के होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध हैं। बजट के अनुसार आप अपनी पसंद का ठहरने का स्थान चुन सकते हैं।
  • कैसे घूमें? विदिशा घूमने के लिए आप टैक्सी या ऑटोरिक्शा किराए पर ले सकते हैं। साथ ही, कुछ दर्शनीय स्थल पैदल चलकर भी घूमे जा सकते हैं।

स्थानीय अनुभव:

  • क्या खरीदें? विदिशा में आप हस्तशिल्प की वस्तुएं, मूर्तियाँ, और पीतल के बर्तन खरीद सकते हैं।
  • क्या खाएँ? विदिशा में आपको मध्य प्रदेश के स्वादिष्ट व्यंजन, जैसे पोहा, जलेबी, दाल बाफला, और कचोरी खाने को मिलेंगी।

याद रखने योग्य बातें:

  • आरामदायक जूते पहन कर घूमें, क्योंकि कुछ स्थानों पर आपको थोड़ा चलना पड़ सकता है।
  • गर्मी के दिनों में सनस्क्रीन और टोपी लगाना न भूलें।

मुझे उम्मीद है कि यह अतिरिक्त जानकारी आपके विदिशा प्रवास को और भी यादगार बना देगी!