मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले की मुंगावली तहसील में स्थित करीला माता मंदिर (Karila Mata Mandir ) उन गिने-चुने मंदिरों में से एक है जहां भगवान राम के बिना ही सीता माता की पूजा होती है। करीला माता मंदिर में सीता जी के अलावा लव कुश और महर्षि वाल्मीक की मूर्तियां है। लेकिन भगवान राम की मूर्ति नहीं है। लव कुश के जन्म के स्थान के रूप में प्रसिद्ध करीला धाम में रंग पंचमी के मौके पर विशाल मेला लगता है। जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं।
करीला माता मंदिर (Karila Mata Mandir ) का इतहास
प्राचीन मान्यता है की रामायण काल के दौरान जब भगवान राम ने अयोध्या से लौटने के बाद मां सीता को त्याग दिया था। तब माता सीता अपना जीवन एक वनवासी की तरह गुजारा था। उसी समय उन्होंने महृषि बाल्मीकि के आश्रम में अपना आश्रय लिया। और और अपने दो जुड़वाँ बच्चों लव-कुश को जन्म दिया। रामायण काल का महृषि बाल्मीकि जी का आश्रम ही आज करीला धाम जिसको करीला माता मंदिर (Karila Mata Mandir) कहते हैं। जो की एक करीला पहाड़ी पर स्थित है इसलिए इनको करीला वाली माता भी कहते हैं। रंगपंचमी के मौके पर पहाड़ी पर स्थित महर्षि वाल्मीकि की गुफा खोली जाती है। इसके दर्शन के लिए ग्रामीण अंचल के साथ-साथ देश के हर कोने से श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर आते हैं।
कांच मंदिर विदिशा | विश्वेश्वर महादेव मंदिर
करीला माता मंदिर (Karila Mata Mandir) की खोज
जानकी माता का मंदिर खुली एवं ऊचीं नीची पहाडियो के विचो वीच सबसे उची पहाडि पर स्थ्ति है। करीला को दीपनाखेडा के महंत ने लगभग 120 वर्ष पूर्व खोजा था । उन्हें जानकी मईया ने स्वपन दिया था की में यहां पहाड़ी पर हूं तब महाराज जी दीपनखेड़ा के लोगों के साथ जाकर मन्दिर खोजा तथा जंगल को काटा रास्ता बनाया। करिला माता मन्दिर से नीचे की ओर एक तालाव हे जो पहाड से देखने में बहुत सुन्दर दिखाइ देता है।
रंग पंचमी पर खुलते हैं प्राचीन गुफा के कपाट
आज रंग पंचमी के मौके पर लगने वाले धार्मिक मेले में एक दिन पहले ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमर पड़ा। लव कुश के जन्म स्थल पर आज रंग पंचमी पर सूर्य की पहली किरण के साथ विदिशा जिले के ललितपुर गांव का पहला झंडा फहराया जाएगा। इसके बाद माता जानकी के मंदिर के प्रतिमा विहीन गर्भ गृह में स्थित प्राचीन गुफा के कपाट खोले जाएंगे। और धुंना की भभूति उठाई जायगी। जिसको सालभर भक्तों को बनता जायगा।
बिना श्री राम के विराजमान है माता सीता
पूरी दुनिया में देखा होगा सभी मंदिरों में भगवान राम के साथ ही सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की प्रतिमा एक साथ होती हैं। यह दुनिया का अनोखा मंदिर है, जहां पर माँ
जानकी बिना राम के मंदिर में विराजमान है। उनके साथ लव-कुश और महर्षि वाल्मीकि की मूर्तियां हैं। उन चारों की एक साथ पूजा होती है। यह लव कुश के जन्म स्थान के रूप में विख्यात है। मान्यता है की निसंतान व्यक्ति अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर राई नृत्य कराते हैं। और अपनी संतान का मुंडन भी यही कराते हैं।
राई नृत्य भी लोकप्रियता का बड़ा कारण
राई बुंदेलखंड का प्रसिद्ध नृत्य है। स्थानीय लोगों का करीला मेले के प्रति आकर्षण का यह बड़ा कारण है। बुंदेलखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
बालाजी धाम मेहगांव रायसेन | Balaji Dham Mehgav Raisen
करीला माता मंदिर फ़ोटो [karila mata mandir photos]
करीला माता मंदिर के कुछ फोटो इस प्रकार हैं –
बाढ़ वाले गणेशजी मंदिर विदिशा | Baadh Vaale Ganeshji Mandir, Vidisha
करीला माता मंदिर की दूरी [Karila Mata Mandir Distance]
करीला माता का मंदिर मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले में स्थित है। अशोकनगर से 35 किमी की दूरी पर है एवं विदिशा से 110 किमी की दूरी पर स्थित है।
भोपाल से करीला माता मंदिर की दूरी [bhopal to karila mata mandir distance]
अगर आप भोपाल से जाने वाले हैं तो आपको बैरसिया होते हुये सिरोंज से होकर 160 किमी जाना होगा।
बीना से करीला माता मंदिर की दूरी [Bina to Karila Mata mandir distance]
बीना से करीला माता मंदिर की दूरी लगभग 65 किमी है। बीना से आपको महलुआ चौराहा, घाट बमूरिया, गुपलिया होते हुए बामुरी शाला से करीला माता मंदिर पहुचंगे।
विदिशा से करीला माता मंदिर की दूरी [Vidisha to Karila Mata mandir distance]
विदिशा से करीला माता मंदिर जाने के लिए आपको अम्बानगर , महलुआ और शाला बामोरी होते हुए, करीला माता मंदिर पहुचंगे। विदिशा से करीला माता मंदिर की दूरी 111 किमी है ।
अशोकनगर से करीला माता मंदिर की दूरी [Ashokanagar to Karila Mata mandir distance]
अशोकनगर से करीला माता मंदिर जाने के लिए आपको मात्र 38 किमी का रास्ता तय करना होगा जोकि आप १ घंटे में तय कर सकते हैं।
श्री दादाजी मनोकामना पूर्ण सिद्ध श्री हनुमान मंदिर, रंगाई मंदिर विदिशा