मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित सांची का स्तूप भारत की गौरवशाली बौद्ध धरोहरों में से एक है। यह विशाल स्तूप बेतवा नदी के तट पर स्थित एक ऊंचे पठार पर बना है और इसे वर्ष 1989 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
सांची का स्तूप सम्राट अशोक के शासनकाल (ईसा पूर्व 268-232) के दौरान तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनना शुरू हुआ था। माना जाता है कि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद अपने गुरु उपगुप्त के मार्गदर्शन में इस स्तूप का निर्माण करवाया था। इस स्तूँप को भगवान बुद्ध के अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था।
सांची का स्तूप न केवल अपने आकार के लिए बल्कि अपनी कलात्मक भव्यता के लिए भी प्रसिद्ध है। इसके प्रवेशद्वार, जिन्हें “तोरण” कहा जाता है, जटिल नक्काशियों से सुशोभित हैं। ये नक्काशियां जातक कथाओं और बुद्ध के जीवन की घटनाओं को दर्शाती हैं। स्तूप के चारों ओर की वेदिकाओं पर भी हाथी, घोड़े और अन्य जानवरों की खूबसूरत मूर्तियां बनी हुई हैं।
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सांची का स्तूप भारतीय स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण है। इसका गोलार्द्धाकार गुंबद ईंटों से बना है और बलुआ पत्थर की पट्टियों से ढका हुआ है। स्तूप के चारों ओर चार प्रवेशद्वार हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व है। ये प्रवेशद्वार बौद्ध धर्म के चार महान सत्यों – दुःख, दुःख का कारण, दुःख का निवारण और दुःख निवारण का मार्ग – का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सांची का स्तूप न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि इतिहास, कला और स्थापत्य कला में रुचि रखने वाले सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह प्राचीन भारत की समृद्ध संस्कृति और कौशल का प्रमाण है।
सांची का स्तूप भारत के मध्य प्रदेश राज्य में, रायसेन जिले के सांची ग्राम में स्थित है।
यह भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर बेतवा नदी के तट पर स्थित एक ऊंचे पठार पर स्थित है।
आप Google Maps पर यहां [अमान्य यूआरएल हटाया गया] क्लिक करके सांची स्तूप का स्थान देख सकते हैं।
यहां सांची स्तूप का पता दिया गया है:
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सांची का स्तूप सम्राट अशोक ने बनवाया था।
यह स्तूप तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनना शुरू हुआ था और इसे भगवान बुद्ध के अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था।
अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद अपने गुरु उपगुप्त के मार्गदर्शन में इस स्तूप का निर्माण करवाया था।
सांची का स्तूप न केवल अपने आकार के लिए बल्कि अपनी कलात्मक भव्यता के लिए भी प्रसिद्ध है।
यह भारत की गौरवशाली बौद्ध धरोहरों में से एक है और इसे 1989 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
सांची स्तूप के निर्माण के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
सांची स्तूप भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है और दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
सांची का स्तूप भारत के मध्य प्रदेश राज्य में, रायसेन जिले के सांची ग्राम में स्थित है।
सांची का स्तूप 200 रुपये के भारतीय नोट के पीछे की तरफ छपा हुआ है।
यह स्तूप नोट के केंद्र में स्थित है और इसके चारों ओर अशोक स्तंभ और चक्र के चित्र हैं।
नोट के नीचे “सांची स्तूप” लिखा हुआ है।
सांची स्तूप को 200 रुपये के नोट पर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है।
यह पर्यटन को बढ़ावा देने और भारतीय कला और वास्तुकला के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी मदद करता है।
यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
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स्थापत्य कला:
कलाकृति:
धार्मिक महत्व:
ऐतिहासिक महत्व:
पर्यटन स्थल:
सांची का स्तूप न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अमूल्य खजाना है। यह बौद्ध धर्म, भारतीय कला और वास्तुकला और मानव सभ्यता के इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्मारक है।
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