अशोकनगर

विदिशा से टेकरी सरकार गुना की यात्रा | Vidisha to Tekri Sarkar trip

हेलो फ्रेंड्स, आज हम अपनी विदिशा से टेकरी सरकार गुना की यात्रा के बारे में बताने जा रहे हैं। हमने और हमारे रिस्तेदार ने मिलकर रविवार को सुबह जल्दी टेकरी सरकार जाने का प्लान बनाया। और रास्ते में करीला धाम जाकर माता जानकी के दर्शन करने का सोचा।

सुबह 4 बजे सब लोग उठ गए और नहा धो कर रेडी हो गये। और हमारी दोनों छोटी बेटियां प्रियल और चुटकी भी तैयार हो गई थी। उनको कार में बैठने में बहुत प्रॉब्लम होती है (मोशनस सिकनेस की प्रॉब्लम है)। फिर भी उनको घूमने का शौक है इसलिए जाने के लिए तैयार थीं। और हम सुबह के 6 बजे विदिशा से निकल गए।

विदिशा से टेकरी सरकार गुना की यात्रा Route :

विदिशा – अम्बानगर चौराहा – महलुआ चौराहा – अशोकनगर – गुना  

दूरी = 178km

हमने पहले मोबाइल से गूगल मैप पर विदिशा तो टेकरी सरकार का रूट सर्च किया तो विदिशा से अम्बानगर, महलुआ चौराहा होते हुए अशोकनगर से गुना से 5km दूर टेकरी सरकार मंदिर मिला। हमने फिर दूसरा कोई और रूट सर्च नहीं किया क्योंकि हमको करीला माता मंदिर भी जाना था।

विदिशा से टेकरी सरकार जाने के लिए 2 और मार्ग हैं। जिनमे से एक है विदिशा से अम्बानगर से सिरोंज होते हुए देवपुर से आरोन और फिर गुना। इससे आप देवपुर के श्री बाबा विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। इसकी दूरी भी कम है 175 किमी।

दूसरा मार्ग विदिशा से महानीम चौराहा होते हुए लटेरी से मकसूदनगढ़ से कुंभराज होते हुए टेकरी सरकार मंदिर पहुँच जाते हैं। इसकी कुल दुरी 182 किमी है।

अगर आपको करीलाधाम मंदिर के दर्शन नहीं करना हो, तो आपको सिरोंज से आरोन होकर जाने वाले रास्ते से ही जाना चाहिए। इसके दो कारण हैं। एक तो दूरी जायदा है, करीला धाम मंदिर होकर जायँगे तो 197 किमी और सीधे ही जाते हैं तब भी 178 किमी । और

दूसरा मुख्य कारण है, की गुना पहुँचने के बाद टेकरी सरकार मंदिर जाने के लिए कोई सीधा बायपास नहीं है। तो आपको उसकी सकरी गलियों से होकर कम से कम 1- 2 किमी जाना होता है, जिसमे आपकी कार में स्क्रैच लगने के पूरे चांस होते हैं। हालाँकि हम भी कार से ही थे लकिन बहुत ही मुश्किल से निकलना पड़ता है रास्ते में वहाँ के लोग अपनी गाड़ियां लगा कर रखते हैं अगर सामने से दूसरी कार आ जाये तो बहुत ही मुश्किल होगी। हमने वंहा के लोगों से दूसरे रस्ते के बारे में पूछा था लकिन सभी ने एक ही रास्ता बताया था।

बागेश्वर धाम सरकार: चमत्कार या जन आस्था?

तो अगर आप बताये गए दो और रास्तों से जायँगे तो आपको गुना शहर की गली वाला हिस्सा नहीं पड़ेगा। जबकि अगर आप लटेरी से होकर जायँगे तो आपको गुना शहर पड़ेगा ही नहीं क्योंकि आप आगरा मुंबई हाईवे से निकल जायँगे।

पहला स्टॉप – हमने अपना पहला स्टॉप महलुआ चौराहा पर लिया था जंहा पर राइट हैंड साइड पर बहुत बढ़िया ची-नाश्ता की दुकान है। जंहा पर हमने पोहा, समोसा, भजिबाड़ा और कचोरी का नाश्ता किया और कोल्ड्रिंक्स पीकर आगे बड़े।

इसके बाद हमने अपना करीलाधाम जाने का प्लान कैंसिल कर दिया और लोटे हुए जाने का प्लान बनाया ताकि टेकरी सरकार जाने में लेट न हो जाये। और फिर अशोकनगर के ट्रैफिक को पार करते हुए गुना शहर पहुँच गए।

गुना शहर की सकरी गलियां

गुना शहर से मंदिर जाने का रास्ता शहर के अंदर से होकर जाता है। अगर आप कार से जा रहे हैं तो आपके लिए थोड़ी मुश्किल होती है क्योंकि रोड गांव की गलियों जैसा है जिसके दोनों और मोटरसाइकल और स्कूटी खड़ी रहती हैं और दोनों और नालियां भी है। अगर आपकी ड्राइवर सीट के पास वाली सीट पर कोई है । जो आपको रास्ता बता सकता है की कार नाली से या गाड़ियों से कितनी दूर है, तब तो ठीक है। वरना कार में स्क्रैच लगना पक्का है। हमने लोगों से पूछा भी लकिन सभी ने यही रास्ता बताया। लकिन हैरत की बात ये है की हमको जाते और आते समय कोई कार नहीं दिखी। तो हो सकता है कोई दूसरा रास्ता भी हो।

आखिरकार हम गुना शहर निकलकर मंदिर पहुंचने वाले रास्ते पर चलने लगे और सामने एक पहाड़ी पर टेकरी सरकार का मंदिर दिखने लगता है जो बहुत ही शानदार नजारा होता है।

टेकरी सरकार मंदिर, गुना (म.प्र.)

यह मंदिर श्री हनुमान जी महाराज का एक विशाल मंदिर है। जो एक पहाड़ी पर स्तिथ है । ऊपर जाने के लिए आप सीढ़ियों से भी जा सकते हैं ,जिनकी संख्या लगभग 300-400 होगी। या आप ऊपर तक कार भी ले जा सकते हैं। रोड काफी चौड़ा है इसलिए कार आसानी से चली जाती है। इसके बाद आप अपनी कार खड़ी करके फ्रेश होने के लिए बाथरूम का उपयोग कर सकते हैं। जो सभी के लिए मंदिर के लोगों द्वारा ही बनबाया गया है। यंहा पर पर्याप्त स्थान है। बाहर से लोग आकर भोजन भी बनाते हैं।
हाथ मुँह धोने के बाद हम मंदिर के लिए निकले। अब यंहा से करीब 20-25 सीढ़ी और चढ़नी पड़ती हैं। उससे पहले हमने चढ़ाने के लिए फूल माला ली लकिन प्रसाद नहीं मिला, फूलबालीे लड़की ने बताया की ऊपर ही नारियल मिल जायगा।

उसके बाद हम मंदिर के भव्य प्रांगड़ में पहुंचते हैं। जंहा पहले बायें और शिव का मंदिर भी है। और समाने स्टील की रेलिंग से होते हुए टेकरी सरकार मंदिर के अंदर पहुंचे। उससे पहले आपकी नज़र मंदिर के ऊपर लिखी हुए “टेकरी सरकार” पर पड़ती है। जो की उसका नाम है। सुन्दर मूर्ति के साथ ऊपर की और देखने पर आपको राम जानकी और हनुमानजी की फोटो दिखाई देती है।

वहां पर हमने फोटो क्लिक किए फिर उसके दूसरे गेट से नीचे की और सीढ़ी से नीचे जाने पर एक और मंदिर है जो की सिद्द बाबा का मंदिर है और पास माँ दुर्गा की मूर्ती भी है। और उसके बहा निकलने पर ऊपर की और जाने पर और सीढ़ियां ऊपर की गई हैं जंहा पर हमने और फोटो निकाले। यंहा से सामने देखने पर एक पहाड़ी दिखाई देती है। जंहा पर श्री राम की 108 फ़ीट ऊँची मूर्ति बनाई जा रही है। जो आधी से ज्यादा बन चुकी है।

और फिर कुछ देर बाद ही हम लोग नीचे आ गए। और आगे बढ़ने का प्लान किया। हमको बताया गया था की गुना में केदारनाथ मंदिर भी है जो टेकरी सरकार से 5-6 किमी दुरी पर ही है। लकिन यंहा पर लोगों से पूछने पर पता चला की 30 किमी दूर जंगल एरिया में है। फिर हमने बापस लौटकर काफी लोगो से पूछा तो सबने यही बताया लकिन जब गूगल मैप पर सर्च किया तो 6 किमी ही दिखा रहा था लकिन रूट सही नहीं आ रहा था और उसके बाद गूगल मैप पर भी 30 किमी दिखने लगा।
तो जंगल का एरिया होने की बजह से हमें जाना सही नहीं लगा वारिश का भी मौसम हो रहा था इसलिए हम लोग वापस हो लिए। और करीला धाम का मैप लगा लिया।

फिर कुछ देर बाद गुना शहर में एंट्री के बाद हमने डिसाइड किया की इस बार हम बहार किसी दूसरे रोड से निकलेंगे और हमने एक दूसरा रोड पकड़ा जो बाहर जाता दिख रहा था। फिर कुछ देर बाद देखते है की हम फिर से उसी रोड पर आ गए जंहा से हम गए थे। तो हमने फिर से गली चेंज कर ली तो मार्किट में पहुँच गए जंहा और भी प्रॉब्लम हुई हाथठेला बाले बार बार आकर रास्ता जाम कर देते। फिर किसी तरह जैसे तैसे हम बहार निकले और मन में कहा की जब भी आयंगे मोटरसाइकल से आयंगे।

कांच मंदिर विदिशा | विश्वेश्वर महादेव मंदिर

गुना से करीला धाम = 97km

जब हम गुना की और से करीला धाम मंदिर जाते हैं। तो बंगला चौराहा से थोड़ा पहले ही एक रोड है जो सीधा करीलाधाम मंदिर को जाती है। जाते समय हम सुबह के ६ बजे निकले और ११ बजे मंदिर पहुँच गए थे जिसमे ३० मिनट हमको रास्ते में रुके थे। तो मौसम ठीक था बादल छाए हुए थे लकिन १२ बजने के बाद गर्मी थी। लकिन जैसे ही हमने गुना से आगे बड़ा तो बारिश होने लगी थी। जिससे हमारा सफर सुहाना हो गया था।

गुना से पहले एक रेलवे अंडर ब्रिज पड़ता है। जब हम लौट रहे थे तो हमारी कार अंडर ब्रिज की और नीचे जाने की बजह सीधे आगे चली गई जंहा पर रेलवे फाटक था और जो परमानेंट बंद कर दिया गया था। और जैसे ही हमने अपनी बायीं और देखा तो हम देखते हैं की एक बहुत ही सुन्दर पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर है। मैंने सोचा की बालाजी की कृपा हुई है और इन्होने ही हमको बुलाया है। इसलिए हम बिना देर किये गाडी से बाहर निकलकर दर्शन के लिए चले गए। इसकी तस्वीर आपको गैलरी में मिल जायँगी। मंदिर के पीछे संत का आश्रम था और मंदिर के अंदर श्री राधे कृष्ण की सुन्दर मूर्ति भी थी। उसके बाद शिवजी परिवार भी था जंहा पर अभिषेक हो रहा था। उनको भगवानजी को प्रणाम करके हमने चल दिया।

श्री राधा कृष्ण लक्ष्मीनारायण मंदिर, माधवगंज विदिशा 

आगे हमको कई जगह वारिश मिलती तो कही जगह सूखा और इस तरह बारिश और वारिश के गानो का आनंद लेते हुए हम करीला के नजदीक पहुँच गए और कुछ दूर से ही माता जानकी का मंदिर दिखाई देने लगा। और कुछ ही देर बाद हम मंदिर परिसर पहुँच गए। यंहा पर मंदिर जाने के लिए आपको सीढ़ी नहीं चढ़नी पड़ती। यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्द मंदिर है। रंगपंचमी के दिन हजारों की संख्या में लोग बहुत दूर से आते हैं। और यंहा राई कराई जाती हैं। पौराणिक मान्यतायों के अनुसार जब माता सीता को श्री रामजी ने त्याग दिया था तब उन्होंने यंहा पर ही अपना वनवास काल का समय बिताया था। यह श्री बाल्मीकिजी का आश्रम था। और माता जानकी ने अपने दो पुत्र लव और कुश को भी जन्म दिया था। और इसलिए जिनको कोई संतान नहीं होती वे लोग अपनी मन्नत मांगे यंहा पर आते हैं और पूरी होने पर राई करवाते हैं।

अगर आपको करीलाधाम के बारे में पूरी जानकारी चाहते है तो हमारी पोस्ट पढ़ें : करीला माता मंदिर अशोकनगर मध्य प्रदेश

और हमने माता जानकी का आशीर्वाद लिया।हमको वहाँ पर हमारे मामाजी का लड़का दिनेश रघुवंशी भी मिल गया जो सिरोंज से आया था। दिनेश मंदिर के अंदर परिशर में बैठा बैठा प्रसाद खा रहा था। उसको मिलकर अच्छा लगा। और फिर हम निकल गए आगे के लिए। अब करीब ४ बज गए थे। हमने आगे महलुआ चौराहा के बाद शंकर ढाबा पर खाना आर्डर किया। जंहा आपको बैठने की काफी बढ़िया व्यवस्था है। हम जब भी हमलोग यंहा से निकलते है तो खाना इसी पर कहते है। यंहा पर लोग बासोदा से केबल खाना खाने के लिए ही आते हैं। इसका टेस्ट बहुत बढ़िया है। फेमिली के लिए अलग से हाल है। काफी फैमिलीज़ यंहा खाना खाते दिख जाती है। इसका खाना टेस्टी और सस्ता भी है। बच्चों के लिए झूले भी लगे हुए हैं। खाना खाने के बाद हम बासोदा होते हुए विदिशा आ गए।लकिन रास्ते में हमको बहुत तेज़ बारिश मिली थी।

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