छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम पिछले कुछ समय में देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। ये स्थान मुख्य रूप से हनुमान जी का मंदिर है, लेकिन यहां विवादों और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिलता है। इस लेख में हम बागेश्वर धाम के इतिहास, इसे चलाने वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उनके दरबार में होने वाले कथित चमत्कारों की पड़ताल करेंगे। साथ ही, जन आस्था की ताकत और इससे जुड़े सवालों को भी समझने की कोशिश करेंगे ।
करीला माता मंदिर अशोकनगर मध्य प्रदेश
बागेश्वर धाम का इतिहास सदियों पुराना माना जाता है। हालांकि, मंदिर को व्यापक पहचान 1980 के दशक में जीर्णोद्धार के बाद मिली। आज ये हनुमान धाम के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर परिसर में भगवान शिव का भी एक मंदिर स्थित है।
पिछले कुछ सालों में बागेश्वर धाम इसलिए चर्चा में आया है क्योंकि इसके प्रमुख कथा वाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर विवाद खड़े हो गए हैं। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लोग “बागेश्वर धाम सरकार” के नाम से भी जानते हैं। वो अपनी धार्मिक कथाओं और दरबार में लोगों की समस्याओं का समाधान निकालने के दावे के लिए जाने जाते हैं। उनके दरबार में भक्तों की पर्ची लेकर उनकी परेशानियों को बताने का दावा किया जाता है। माना जाता है कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बिना किसी जानकारी के ही उनकी समस्याओं का सटीक वर्णन कर देते हैं और समाधान भी सुझाते हैं। यही वो पहलू है जो उन्हें चमत्कारी बाबा के रूप में ख्याति दिलाता है।
बाढ़ वाले गणेशजी मंदिर विदिशा | Baadh Vaale Ganeshji Mandir, Vidisha
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में होने वाले इन कथित चमत्कारों को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ये वाकई में चमत्कार है, जबकि कुछ इसे उनके कौशल और मनोवैज्ञानिक समझ का नतीजा बताते हैं।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थकों का कहना है कि वो किसी भी अज्ञात व्यक्ति की समस्याओं को उनकी पर्ची में लिखे नाम के आधार पर ही बता देते हैं। उनका दावा है कि पंडित जी दिव्य शक्तियों के माध्यम से भक्तों की परेशानियों को जान लेते हैं।
वहीं, उनके आलोचकों का कहना है कि ये दरबार एक सुनियोजित नाटक से ज्यादा कुछ नहीं है। वो तर्क देते हैं कि दरबार में आने वाले अधिकांश भक्त ग्रामीण पृष्ठभूमि से होते हैं और उनकी समस्याएं कुछ खास तरह की ही होती हैं, जैसे कि पारिवारिक कलह, आर्थिक परेशानी या बीमारी। उनका मानना है कि पंडित जी सालों के अनुभव से इस तरह की समस्याओं को पहचानने में माहिर हो गए हैं। इसके अलावा, दरबार में आने वाले भक्तों से सूचनाएं निकालने के लिए कुछ खास तकनीकों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जैसे कि शरीर की भाषा पढ़ना या फिर उनके पहनावे और हाव-भाव से उनके सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि का अंदाजा लगाना।
इस बहस के बीच ये कहना मुश्किल है कि बागेश्वर धाम में होने वाले ये कार्य वाकई में चमत्कार हैं या फिर किसी खास कौशल का प्रदर्शन।
कांच मंदिर विदिशा | विश्वेश्वर महादेव मंदिर
बागेश्वर धाम सरकार मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में गढ़ा नामक स्थान पर स्थित है।
यह स्थान छतरपुर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर छतरपुर-खजुराहो हाईवे से सटा हुआ है।
आप Google Maps पर यहां क्लिक करके बागेश्वर धाम सरकार का स्थान देख सकते हैं।
यहां बागेश्वर धाम सरकार के कुछ पते दिए गए हैं:
बागेश्वर धाम की प्रसिद्धि के साथ-साथ विवाद भी इसके पीछे चलते हैं। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जादू-टोना करने और लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। कुछ लोगों का कहना है कि उनके दरबार में होने वाले कार्य किसी भी तरह की दिव्य शक्ति का परिचायक नहीं हैं, बल्कि ये केवल मनोरंजन और लोगों के शोषण का जरिया है।
साथ ही, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर भी आलोचना होती रहती है। उन पर सांप्रदायिक भाषण देने का आरोप लगता है।
इन विवादों के बावजूद बागेश्वर धाम पर श्रद्धालुओं का आना कम नहीं हुआ है।
बागेश्वर धाम की कहानी आस्था और तर्क के बीच चल रहे संघर्ष को दर्शाती है। जहां लाखों लोग अपनी आस्था के चलते यहां खींचे चले आते हैं, वहीं कई लोग इसे तर्कसंगत नहीं मानते। ये सवाल उठाता है कि आस्था और अंधविश्वास के बीच की रेखा कहां खींची जाए?
क्या हर उस चीज को जिसे हम नहीं समझ पाते, उसे चमत्कार मान लेना चाहिए? या फिर हर चीज के लिए तार्किक व्याख्या ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए?
इसका जवाब हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। कुछ लोगों के लिए आस्था ही सर्वोपरि है, जबकि कुछ हर चीज का वैज्ञानिक आधार खोजने में विश्वास रखते हैं।
बागेश्वर धाम आने वाले समय में कैसा रुख करता है, ये देखना दिलचस्प होगा। क्या पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने प्रभाव को बनाए रख पाएंगे या फिर विवादों का असर उनकी लोकप्रियता को कम करेगा?
ये भी एक महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या बागेश्वर धाम आस्था का केंद्र बना रहेगा या फिर धीरे-धीरे विवादों में घिरकर अपना महत्व खो देगा।
इन सवालों का जवाब समय के साथ ही मिलेगा। फिलहाल, बागेश्वर धाम एक ऐसी जगह है जो आस्था और तर्क के बीच चल रहे संघर्ष को दर्शाती है और ये बहस आने वाले समय में भी जारी रहने की संभावना है।
बालाजी धाम मेहगांव रायसेन | Balaji Dham Mehgav Raisen
बागेश्वर धाम एक जटिल और बहुआयामी घटना है। ये धार्मिक आस्था, विवाद, सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रवाद जैसे कई विषयों को समेटे हुए है। इस जगह के बारे में राय बनाना मुश्किल है क्योंकि ये आस्था और तर्क के बीच चल रहे संघर्ष का एक जीता जागता उदाहरण है।
हमें इस बात का सम्मान करना चाहिए कि लाखों लोगों की आस्था बागेश्वर धाम से जुड़ी हुई है। वहीं, साथ ही ये भी जरूरी है कि हर चीज को सवालों की कसौटी पर कसा जाए और अंधविश्वास को बढ़ावा देने से बचा जाए।
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